वजन घटाने का सही तरीका : अगर आप पहले से सचेत हों और पौष्टिक लेकिन कम कैलरी और लो फैट वाले खाने के साथ - साथ नियमित रूप से फिजिकल ऐक्टिव हों या साथ में वॉक , जॉगिंग , स्कीपिंग , साइकलिंग , स्विमिंग जैसी एक्सर्साइज या योग करते रहें तो बीएमआई 23 तक बनाए रखना मुश्किल नहीं है। क्योंकि अगर एक बार वजन अगर बढ़ जाए तो कम करना थोड़ा मुश्किल होता है। इसके लिए सबसे जरूरी है स्पेशलिस्ट से सलाह करके योजना बनाना और उस पर लगातार अमल करना। आमतौर पर लोग वजन घटाने के लिए डाइटिंग को ही एक तरीका मानते हैं और क्रैश डाइटिंग करने लगते हैं , जो सही नहीं है। डाइटिंग का मतलब भूखे रहना नहीं है , बल्कि सही वक्त पर उचित मात्रा में कम कैलरी और लो फैट वाली फाइबर युक्त चीजें खाने से है। असल में जब हम कम खाते हैं तो बॉडी का मैटाबॉलिज्म कम हो जाता है और मिनरल और विटामिन की कमी हो जाती है। इसलिए जरूरी है कि आप भरपूर , लेकिन सही खाना खाएं।
वजन घटाने के लिए हमें थ्री - डाइमेंशनल ( तीन पहलुओं पर ) कोशिश करनी होगी :

1.
कैलरी कम लें। शरीर को कम कैलरी मिलेगी तो वह पहले से जमा कैलरी का इस्तेमाल करेगा।

2.
ज्यादा कैलरी बर्न करें। एक्सर्साइज और ज्यादा शारीरिक मेहनत करने पर शरीर में जमा फालतू कैलरी बर्न होगी।

3.
स्ट्रेस कम करें। इससे आपको भूख ज्यादा लगती है और आप इमोशनल ईटिंग करते हैं।

मसलन , अगर आपने 4 किलो वजन कम करने का टारगिट रखा है तो सबसे पहले खाने में से 1000 कैलरी की कटौती करें। फिर कैलरी खर्च करें। आधे घंटे तेज सैर से 80 कैलरी तक बर्न हो जाती हैं। बाकी के लिए एरोबिक्स , जॉगिंग , स्विमिंग या दूसरी एक्सर्साइज की जा सकती हैं। तीसरी जरूरी चीज है , लाइफस्टाइल में बदलाव। लिफ्ट के बजाय सीढि़यों का इस्तेमाल करें , नौकर से पानी मांगने के बजाय खुद उठकर जाएं , आसपास रिक्शे या दूसरे वीइकल के बजाय पैदल जाएं। इन छोटी - छोटी चीजों से काफी कैलरी काफी खर्च होती हैं।

डाइट और एक्सर्साइज के अलावा वजन घटाने के कुछ और भी तरीके हैं। इनमें से कुछ खुद घर में अपनाए जा सकते हैं तो कुछ के लिए आपको एक्सपर्ट या इंस्टिट्यूट का सहारा लेना होगा।
योग
वजन कम करने का सबसे सटीक और सरल तरीका है योग। कपालभाति , अग्निसार क्रिया , उर्ध्वहस्तोत्तानासन , दुत उत्तानपादासन , हृदय स्तंभासन , द्विपाद साइकलिंग , भुजंगासन , चक्की चालन , उज्जायी प्रणायाम ऐसे आसन हैं , जो वजन कम करने में बेहद मददगार हैं।

कपालभाति : सांस को नाक से बाहर फेंके , जिससे पेट अंदर - बाहर जाएगा। 5- 10 मिनट करें। यह आसन पेट पर जमा चर्बी कम करता है। हाई बीपी वाले धीरे - धीरे करें और कमरदर्द वाले कुर्सी पर बैठकर करें।

अग्निसार : खड़े होकर पैरों को थोड़ा खोलकर हाथों को जंघाओं पर रखें। सांस को बाहर रोक दें। फिर पेट की पंपिंग करें यानी सांस अंदर खींचें , फिर छोड़ें। स्लिप डिस्क , हाई बीपी या पेट का ऑपरेशन करा चुके लोग इसे करें।

उर्ध्व हस्तोत्तानासन : खड़े होकर पैरों को थोड़ा खोलें। हाथों की उंगलियों को फंसाकर सिर के ऊपर उठा लें। सांस निकालें और कमर को लेफ्ट साइड में झुका लें। इसी तरह दूसरी ओर करें।

दुत उत्तानपादासन : कमर के बल लेटकर हाथों को जंघाओं के नीचे जमीन पर रखें। दोनों पैरों को 90 डिग्री तक ऊपर उठाएं। इस प्रकार जमीन पर बिना टिकाए बार - बार पैरों को ऊपर - नीचे करते रहें। कमर दर्द वाले इसे करें।

हृदय स्तंभासन : कमर के बल लेटकर हाथों को जंघाओं के ऊपर रखें। सांस भरकर पैरों को उठाएं। सिर और कमर को उठाएं। इस दौरान शरीर का भार नितंबों पर रहेगा।

द्विपाद साइकलिंग : कमर के बल लेटे - लेटे ही दोनों पैरों को मिलाकर एक साथ साइकलिंग की तरह घुमाएं। थकान होने तक लगातार घुमाते रहें। हाथों को कमर के नीचे सपोर्ट के लिए रखें। यही प्रक्रिया रिवर्स में भी दोहराएं।

भुजंगासन : पेट के बल लेटकर दोनों हाथों को नितंबों के नीचे रखें। सांस भरते हुए आगे से सिर और छाती को ऊपर उठाकर पीछे की ओर मोड़ लें।

चक्की चालन : दोनों पैर सामने की ओर फैलाकर बैठ जाएं और हाथों को आपस में बांध लें। फिर आगे की ओर झुककर चक्की चलाने जैसा अभ्यास करें।
उज्जायी प्राणायाम : थायरॉइड के मरीजों के लिए यह काफी फायदेमंद है। सीधे बैठकर सांस बाहर निकालें। अब सांस भरते हुए गले की मांसपेशियों को टाइट करें और सांस भरते जाएं। साथ ही गले से घर्षण की आवाज करते जाएं। फिर नाक से सांस धीरे - से बाहर निकाल दें।

इन सभी आसनों को 8- 10 बार दोहराएं। अगर सुबह नियमित रूप से ये आसन किए जाएं तो एक महीने में किलो तक वजन कम हो सकता है। आसन खुद भी किए जा सकते हैं , लेकिन शुरुआत अगर किसी एक्सपर्ट या योग गुरु की देखरेख में की जाए तो बेहतर है।

पावर योग : योग की यह तकनीक आजकल काफी चलन में है। योग में जहां एक ही स्थिति में कुछ देर रुकना होता है , वहीं पावर योग में जोरदार और लगातार प्रैक्टिस होती है। इसमें एक ही क्रिया को लगातार कई बार किया जाता है और सारा जोर स्ट्रेंथ और लचक पर होता है। लगातार मूवमंट से पसीना भी ज्यादा निकलता है। ऐसे में वजन जल्दी घटता है , लेकिन प्रैक्टिस रोकने पर मसल टोनिंग कम हो जाती है। यानी बॉडी के लूज होने का खतरा होता है। पावर योग हमेशा एक्सपर्ट की देखरेख में ही करना चाहिए।

आयुर्वेद
आयुर्वेद में इलाज मुख्यत : जड़ी - बूटियों पर आधारित होता है। यह करीब - करीब नेचरोपैथी जैसा ही है। इसमें भी मसाज और स्टीम बेस्ड तकनीक होती है। मसाज के लिए अदरक , कुलष्ठा दूसरी बूटियों मिला तेल या पाउडर इस्तेमाल किया जाता है। फिर स्टीम दी जाती है। खास पैक भी लगाया जाता है। इन सब तरीकों से फैट मोबलाइज हो जाता है। आयुर्वेद में आमतौर पर 10- 15 सीटिंग में पांच किलो तक वजन घट सकता है। पांच हजार से 20 हजार रुपये तक चार्ज किए जाते हैं। इसका फायदा यह है कि शरीर ढीला नहीं पड़ता और वजन अचानक वापस नहीं आता। बॉडी टोन्ड और शेप में जाती है।

होम्योपैथी
मोटापे से छुटकारा पाने के लिए खाना खाने के बाद दिन में तीन बार 10- 15 बूंदें फायटोलका डिकंड्रा क्यू या फ्यूकस वेस क्यू की चौथाई कप पानी में लें। कैल्केरिया कार्ब की 4- 5 गोलियां भी दिन में तीन बार ले सकते हैं। ये दवाएं फैट कम करती हैं और नियमित रूप से लेने पर दो - तीन महीने में असर दिखने लगता है। इन दवाओं का कोई साइड इफेक्ट नहीं है , फिर भी डॉक्टर की सलाह से लेना बेहतर है। इन दवाओं को गंध से दूर रखना चाहिए। लेने से पहले 15 मिनट पहले या बाद में कुछ खाएं। इस दौरान कच्चे लहसुन प्याज का सेवन बंद कर दें। दवा लेने से पहले कुल्ला कर लें।

मशीनों का सहारा ( साइंटिफिक )
साइंटिफिक तकनीक का इस्तेमाल एक सपोर्ट सिस्टम के तौर पर किया जाता है। इसमें विभिन्न मशीनों द्वारा मसल एक्टिविटी , ब्लड सर्कुलेशन और शरीर की लचक बढ़ाई जाती है।

वाइब्रेशन : मशीन के जरिए शरीर पर वाइब्रेशंस दी जाती हैं। इससे मांसपेशियों की एक्टिविटी बढ़ती है , जिससे फैट बर्न होता है।

हीट थेरपी : शरीर पर पैड लपेटकर हीट दी जाती है। इससे शरीर का तापमान थोड़ा बढ़ जाता है , जो बेसिक मेटाबॉलिज्म रेट में इजाफा करता है।

अगर आप सिर्फ इन्हीं दोनों तरीकों से वजन कम करना चाहते हैं तो सही नहीं है , क्योंकि इससे स्किन ढीली होने का खतरा होता है। उसके लिए मसाज की सलाह दी जाती है। मशीनी तरीकों से वजन कम करने के लिए दो से तीन हजार रुपये चार्ज किए जाते हैं।

3 comments
  1. Chandar Meher July 10, 2009 at 7:19 AM  

    Good Suggesntion. I liked you suggestion. I myself have sone my PhD in Food and Nutrition.
    You can paste advertiesment on your hindi blog also you can see one blog of mine. it is "lifemazedar.blogspot.com". For ads write to me at chandar30(at)gmail(dot)com.
    Avatar Meher Baba ji Ki Jai

  2. Anonymous July 10, 2009 at 8:33 AM  

    विकास जी, समझ में नहीं आता कि इतना अच्‍छा आलेख पढ़कर कैसे रिएक्‍ट करूँ? चलिए, पहले बधाई दे देता हूँ। बधाई इसलिए कि आपने अपने ब्‍लॉग में हिंदी में लिखने का प्रयास किया। यह आपके इस ब्‍लॉग का पहला हिंदी आलेख है।

    बधाई इस बात की भी कि श्री चंदर मेहर सहित अनेक लोग आपके आलेख से प्रभावित हुए होंगे। लेकिन एक शंका है, इस आलेख का कोई भी पूरा वाक्‍य गूगल सर्च इंजन में डालने पर यही आलेख दो साइटों में और भी है। पहली बार यह आलेख एक फरवरी 2009 को प्रकाशित हुआ है, दूसरी बार 36 मई 2009 को प्रकाशित हुआ है।

    तो आप बधाई इस बात की भी लें कि एक शिक्षाप्रद आलेख के प्रचार-प्रसार में आपका भी योगदान है। लिखा न सही चेंपा सही। चाहे कोई बदतमीज कहे, चोर कहे, या नाशुक्रा, आप तो बिलकुल परवाह न करें। आपका इरादा नेक है। आप जनसेवा कर रहे हैं। लगे रहें...

  3. गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर July 10, 2009 at 6:22 PM  

    good.narayan narayan